This composition is one of my favorites.
Sung in the tune of the Song Maili Chaadar, this song touches the Heart and the Soul.
It is a constant reminder that all our actions are accounted for and we always get our just desserts.
समता भाव
दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |
पाप और पुण्य कर्मों से जग में कोई नहीं बच पाया,
भोग के ही जाना पड़ता है जो भी तुम ने कमाया,
कर्मों के खाते के संग चलता आवागमन हमेशा |
दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |
पाकर केवल ज्ञान भी प्रभू को कर्मों ने ना बक्ष,
वैर दिखा कर गौशालक ने बरसाई तेजोलेषा,
सर्वज्ञानी महावीर स्वामी की पढ़ते हम कहानी |
दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |
खुद भी तिरे औरों को तारा, तारणहार कहाए,
मार्ग मुक्ति का बतला कर तीर्थंकर कहलाए,
इक तू ही है मेरा सहारा और कहीं ना मैं जाऊँ |
दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |
-Sunita Jain
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