Tuesday, October 21, 2014

Samta Bhav



This composition is one of my favorites.
Sung in the tune of the Song Maili Chaadar, this song touches the Heart and the Soul.
It is a constant reminder that all our actions are accounted for and we always get our just desserts.


 समता भाव

दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |

पाप और पुण्य कर्मों से जग में कोई नहीं बच पाया,
भोग के ही जाना पड़ता है जो भी तुम ने कमाया,
कर्मों के खाते के संग चलता आवागमन हमेशा |

दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |

पाकर केवल ज्ञान भी प्रभू को कर्मों ने ना बक्ष,
वैर दिखा कर गौशालक ने बरसाई तेजोलेषा,
सर्वज्ञानी महावीर स्वामी की पढ़ते हम कहानी |

दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |

खुद भी तिरे औरों को तारा, तारणहार कहाए,
मार्ग मुक्ति का बतला कर तीर्थंकर कहलाए,

इक तू ही है मेरा सहारा और कहीं ना मैं जाऊँ |

दु:ख की बेला में ना घबराऊँ, सुख में ना मौज मनाऊँ,
समता भाव जगादो मन में, तेरे ही गुण गाऊँ |

-Sunita Jain

 

No comments:

Post a Comment